आओ बैठें . . . कभी मुझसे मेरी बात तो करके देखो.. पत्थर नहीं मोम हूं एक बार हाथ रख के तो देखो पूछने थे जो सवाल मुझसे दे चुकी अगर जवाब खुद...
देखती रहती हूं अपनी खिड़की से , उन बड़े से पेड़ की उन शाखों को. . . अपने आप में अनेक कहानियॉं लिए उन पत्तों को , मौसम के बदलने का अंदाज़...
मुझे वास्तविक जीवन पर आधारित कहानियां लिखना अच्छा लगता है । पर सब से पहेले में एक इंसान हूं । अपनी ज़िंदगी जीते हुए बहुत सारी ऐ...
तंग हूँ , परेशां हूँ , दीमक लगी दीवारों से , हर रिश्ता सड़ांध भरा , घुटता हुआ , कुंठित सा है ....!! दो मुँहे साँपों जैसा , हर चेहरा...
पुरानी होकर भी खास होती जा रही है.. मोहब्बत बेशर्म है जनाब बेहिसाब होती जा रही है।💕 #Readapoetry
बस एक ही सुर में, एक ही लय पे सुबह से देख, देख कैसे बरस रहा है उदास पानी फुहार के मलमली दुपट्टे से...